Ravi Ranjan

Ravi Ranjan

Tuesday, 3 January 2017

बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव संभवत: बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुआ है जिसे विहार के स्थान पर इसके विकृत रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक गिना जाता है।
बिहार
—  राज्य  —
महाबोधि मंदिर, भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े चार पवित्र तीर्थों में से एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित[1]
महाबोधि मंदिरभगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े चार पवित्र तीर्थों में से एकयूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित[1]
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देशFlag of India.svg भारत
क्षेत्रअंग क्षेत्रभोजपुरी क्षेत्रमगध क्षेत्रमिथिला क्षेत्र
ज़िला३८
Government-->
बिहार१९१२
राजधानीपटना
सबसे बड़ा नगरपटना
सबसे बड़ा महानगरपटना
राज्यपालरामनाथ कोविद
मुख्य मंत्रीनीतीश कुमार
मंत्रिमंडल सचिवअफ़ज़ल अमानुल्लाह
विधान सभा (सीटें)द्विसदन (२४३ + ९६)
संसदीय निर्वाचन क्षेत्रबिहार के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
उच्च न्यायालयपटना उच्च न्यायालय
जिला न्यायालय
जनसंख्या
• घनत्व
10,38,04637[2] (3rd)
• 1,102 /किमी2 (2,854 /वर्ग मील)[2]
लिंगानुपात916/1000 /
साक्षरता
• पुरुष
• महिला
63.82%%
• 73.39%%
• 53.33%%
आधिकारिक भाषा(एँ)हिन्दी (मुख्य), मैथिलीउर्दू (सहायक)
क्षेत्रफल94,163 कि.मी² (36,357 वर्ग मील)
मौसम
• वर्षा
तापमान
• ग्रीष्म
• शीत
ETh (कॉपेन)
•      1,200 mm (47.2 in)
•      27 °C (81 °F)
•      34 °C (93 °F)
•      10 °C (50 °F)
प्रशासी संस्थाभारत सरकारबिहार सरकार
ISO 3166-2IN.BR
आधिकारिक जालस्थलgov.bih.nic.in
बिहार प्रवेशद्वारबिहार  
बिहार की मुहर

संदर्भ[संपादित करें]

इतिहास[संपादित करें]

बिहार का ऐतिहासिक नाम मगध है। बिहार की राजधानी पटना का ऐतिहासिक नाम पाटलिपुत्र है।

प्राचीन काल[संपादित करें]

प्राचीन काल में मगध का साम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। यहाँ से मौर्य वंशगुप्त वंश तथा अन्य कई राजवंशों ने देश के अधिकतर हिस्सों पर राज किया। मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक का साम्राज्य पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था। मौर्य वंश का शासन ३२५ ईस्वी पूर्व से १८५ ईस्वी पूर्व तक रहा। छठी और पांचवीं सदी ईसापूरफफड़्व में यहां बौद्ध तथा जैन धर्मों का उद्भव हुआ। अशोक ने, बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसने अपने पुत्र महेन्द्र को बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा। उसने उसे पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) के एक घाट से विदा किया जिसे महेन्द्र के नाम पर में अब भी महेन्द्रू घाट कहते हैं। बाद में बौद्ध धर्म चीन तथा उसके रास्ते जापान तक पहुंच गया।

मध्यकाल[संपादित करें]

बारहवीं सदी में बख्तियार खिलजी ने बिहार पर अपना आधिपत्य जमा लिया। उसके बाद मगध देश की प्रशासनिक राजधानी नहीं रहा। जब शेरशाह सूरी ने, सोलहवीं सदी में दिल्ली के मुगल बाहशाह हुमायूँ को हराकर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया तब बिहार का नाम पुनः प्रकाश में आया पर यह अधिक दिनों तक नहीं रह सका। अकबर ने बिहार पर कब्जा करके बिहार का बंगाल में विलय कर दिया। इसके बाद बिहार की सत्ता की बागडोर बंगाल के नवाबों के हाथ में चली गई। बिहार का अतीत गौरवशाली रहा है।

आधुनिक काल[संपादित करें]

1857 के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1912 में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया। 1936 में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार के चंपारण के विद्रोह को, अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत फैलाने में अग्रगण्य घटनाओं में से एक गिना जाता है। स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और सन् 2000 में झारखंड राज्य इससे अलग कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन में भी बिहार की गहन भूमिका रही।
देखें भारत छोड़ो आन्दोलन और बिहार

भौगोलिक स्थिति[संपादित करें]


बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र
उत्तर भारत में 21°58'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 82°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच बिहार एक हिंदी भाषी राज्य है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है। गंगा के पूर्वी मैदान में स्थित इस राज्य की औसत ऊँचाई १७३ फीट है। भौगोलिक तौर पर बिहार को तीन प्राकृतिक विभागो मे बाँटा जाता है- उत्तर का पर्वतीय एवं तराई भाग, मध्य का विशाल मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा
उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी का हिस्सा है। इस श्रेणी की औसत उचाई 455 मीटर है परन्तु इसका सर्वोच्च शिखर 874 मीटर उँचा है। सोमेश्वर श्रेणी के दक्षिण में तराई क्षेत्र है। यह दलदली क्षेत्र है जहाँ साल वॄक्ष के घने जंगल हैं। इन जंगलों में प्रदेश का इकलौता बाघ अभयारण्य वाल्मिकीनगर में स्थित है।
मध्यवर्ती विशाल मैदान बिहार के 95% भाग को समेटे हुए है। भौगोलिक तौर पर इसे चार भागों में बाँटा जा सकता है:- 1- तराई क्षेत्र यह सोमेश्वर श्रेणी के तराई में लगभग 10 किलोमीटर चौ़ड़ा कंकर-बालू का निक्षेप है। इसके दक्षिण में तराई उपक्षेत्र है जो प्रायः दलदली है।
2-भांगर क्षेत्र यह पुराना जलोढ़ क्षेत्र है। समान्यतः यह आस पास के क्षेत्रों से 7-8 मीटर ऊँचा रहता है।
3-खादर क्षेत्र इसका विस्तार गंडक से कोसी नदी के क्षेत्र तक सारे उत्तरी बिहार में है। प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ के कारण यह क्षेत्र बहुत उपजाऊ है। परन्तु इसी बाढ़ के कारण यह क्षेत्र तबाही के कगार पर खड़ा है।
गंगा नदी राज्य के लगभग बीचों-बीच बहती है। उत्तरी बिहार बागमतीकोशीबूढी गंडकगंडकघाघरा और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है। सोनपुनपुनफल्गू तथा किऊल नदी बिहार में दक्षिण से गंगा में मिलनेवाली सहायक नदियाँ है। बिहार के दक्षिण भाग में छोटानागपुर का पठार, जिसका अधिकांश हिस्सा अब झारखंड है, तथा उत्तर में हिमालय पर्वत की नेपाल श्रेणी है। हिमालय से उतरने वाली कई नदियाँ तथा जलधाराएँ बिहार होकर प्रवाहित होती है और गंगा में विसर्जित होती हैं। वर्षा के दिनों में इन नदियों में बाढ़ एक बड़ी समस्या है।
राज्य का औसत तापमान गृष्म ऋतु में 35-45 डिग्री सेल्सियस तथा जाड़े में 5-15 डिग्री सेल्सियस रहता है। जाड़े का मौसम नवंबर से मध्य फरवरी तक रहता है। अप्रैल में गृष्म ऋतु का आरंभ होता है जो जुलाई के मध्य तक रहता है। जुलाई-अगस्त में वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसका अवसान अक्टूबर में होने के साथ ही ऋतु चक्र पूरा हो जाता है। औसतन 1205 मिलीमीटर वर्षा का का वार्षिक वितरण लगभग 52 दिनों तक रहता है जिसका अधिकांश भाग मानसून से होनेवाला वर्षण है।
उत्तर में भूमि प्रायः सर्वत्र उपजाऊ एवं कृषियोग्य है। धानगेंहूँदलहनमक्कातिलहनतम्बाकू,सब्जी तथा केला, आम और लीची जैसे कुछ फलों की खेती की जाती है। हाजीपुर का केला एवं मुजफ्फरपुर की लीची बहुत प्रसिद्ध है।

भाषा और संस्कृति[संपादित करें]

हिंदीअंगिकाभोजपुरीमगही,ऊर्दु और मैथिली यहाँ की प्रमुख भाषायें हैं।
बिहार की संस्कृति मगध,अंग,मिथिला तथा वज्जी संस्कृतियों का मिश्रण है। नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है। नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन करते है तथा उनकी मान्यताएँ रुढिवादी है। समाज पुरूष प्रधान है। प्रमुख पर्वों में छठहोलीदिवालीदशहरामहाशिवरात्रिनागपंचमीश्री पंचमीमुहर्रमईद तथा क्रिसमस हैं। सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है।
जातिवाद
जातिवाद बिहार की राजनीति तथा आमजीवन का अभिन्न अंग रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इसका विराट रूप सामने आया था। वर्तमान में काफी हद तक यह भेदभाव कम हो गया है। इस जातिवाद के दौर की एक ख़ास देन है - अपना उपनाम बदलना। जातिवाद के दौर में कई लोगों ने जाति स्पष्ट न हो इसके लिए अपने तथा बच्चों के उपनाम बदल कर एक संस्कृत नाम रखना आरंभ कर दिया। इसके फलस्वरूप कई लोगों का वास्तविक उपनाम यादव, शर्मा, मिश्र, वर्मा, झा, सिन्हा, श्रीवास्तव, राय इत्यादि से बदलकर प्रकाश, सुमन, प्रभाकर, रंजन, भारती इत्यादि हो गया। जातिसूचक उपनाम के बदले कई लोग 'कुमार' लिखना पसंद करते हैं।
मनोरंजन
बिहार के शहर, कस्बों तथा गाँवों में फिल्मों की लोकप्रियता बहुत अधिक है। हिंदी फिल्मों के संगीत बहुत पसन्द किये जाते हैं। मुख्य धारा की हिन्दी फिल्मों के अलावा मैथिली, भोजपुरी फिल्मों ने भी अपना प्रभुत्व जमाया है। मैथिली तथा अन्य स्थानीय सिनेमा भी लोकप्रिय हैं। अंग्रेजी फिल्म पटना जैसे नगरों में ही देखा जाता है। उच्चस्तरीय पसंद वाले लोग नृत्य, नाटकीय मंचन या चित्रकला में अपना योगदान देना पसंद करते हैं।
शादी-विवाह
शादी विवाह के दौरान ही प्रदेश की सांस्कृतिक प्रचुरता स्पष्ट होती है। जातिगत आग्रह के कारण शत-प्रतिशत शादियाँ माता-पिता या रिश्तेदारों द्वारा तय परिवार में ही होता है। शादी में बारात तथा जश्न की सीमा समुदाय तथा उनकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। लोकगीतों के गायन का प्रचलन लगभग सभी समुदाय में हैं। आधुनिक तथा पुराने फिल्म संगीत भी इन समारोहों में सुनाई देते हैं। शादी के दौरान शहनाई का बजना आम बात है। इस वाद्ययंत्र को लोकप्रिय बनाने में बिस्मिल्ला खान का नाम सर्वोपरि है, उनका जन्म बिहार में ही हुआ था।
खानपान
बिहार अपने खानपान की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो व्यंजन पसंद किये जाते हैं। मिठाईयों की विभिन्न किस्मों के अतिरिक्त अनरसा की गोलीखाजामोतीचूर का लड्डूतिलकुट यहाँ की खास पसंद है। सत्तूचूड़ा-दही और लिट्टी-चोखा जैसे स्थानीय व्यंजन तो यहाँ के लोगों की कमजोरी है। लहसून की चटनी भी बहुत पसंद करते हैं। लालू प्रसाद के रेल मंत्री बनने के बाद तो लिट्टी-चोखा भारतीय रेल के महत्वपूर्ण स्टेशनों पर भी मिलने लगा है। सुबह के नास्ते मे चुडा-दही या पुरी-जिलेबी खूब खाये जाते है। दिन में चावल-दाल-सब्जी और रात में रोटी-सब्जी सामान्य भोजन है।
खेलकूद
भारत के अन्य कई जगहों की तरह क्रिकेट यहाँ भी सर्वाधिक लोकप्रिय है। इसके अलावा फुटबॉलहाकीटेनिस और गोल्फ भी पसन्द किया जाता है। बिहार का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण होने के कारण पारंपरिक भारतीय खेल जैसे कबड्डी, बहुत लोकप्रिय हैं।

उद्योग[संपादित करें]

राज्‍य के मुख्‍य उद्योग हैं - ॰मुंगेर में सिगरेट कारखाना आई टी सी ॰मुंगेर में आई टी सी के अनय उतपाद अगरबती माचिस एम तथा चावल ऑटा आदि का निरमाण ॰मुंगेर में बंदुक फैकटरी ॰मुेंगेर के जमालपुर में रेल कारखाना ॰एशिया परसिध रेल करेन कारखाना जमालपुर ॰भागलपुर में शिलक उधाेग
  • मुजफ्फरपुर और मोकामा में 'भारत वैगन लिमिटेड' का रेलवे वैगन संयंत्र,
  • बरौनी में भारतीय तेल निगम का तेलशोधक कारख़ाना है।
  • बरौनी का एच.पी.सी.एल. और अमझोर का पाइराइट्स फॉस्‍फेट एंड कैमिकल्‍स लिमिटेड (पी.पी.सी.एल.) राज्‍य के उर्वरक संयंत्र हैं।
  • सीवान, भागलपुर, पंडौल, मोकामा और गया में पांच बड़ी सूत कताई मिलें हैं।
  • उत्तर व दक्षिण बिहार में 13 चीनी मिलें हैं, जो निजी क्षेत्र की हैं तथा 15 चीनी मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं जिनकी कुल पेराई क्षमता 45,00 टी.पी.ड़ी. है।
  • इसके अलावा गोपालगंज, पश्चिमी चंपारन, भागलपुर और रीगा (सीतामढ़ी ज़िला) में शराब बनाने के कारखाने हैं।
  • पश्चिमी चंपारन, मुजफ्फरपुर और बरौनी में चमड़ा प्रसंस्‍करण के उद्योग है।
  • कटिहार और समस्‍तीपुर में तीन बड़े पटसन के कारखाने हैं।
  • हाजीपुर में दवाएं बनाने का कारख़ाना औरंगाबाद और पटना में खाद्य प्रसंस्‍करण और वनस्‍पति बनाने के कारखाने हैं।
  • इसके अलावा बंजारी में कल्‍याणपुर सीमेंट लिमिटेड नामक सीमेंट कारखाने का बिहार के औद्योगिक नक्‍शे में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है।

सिंचाई[संपादित करें]

बिहार में कुल सिंचाई क्षमता 28.63 लाख हेक्‍टेयर है। यह क्षमता बड़ी तथा मंझोली सिंचाई परियोजनाओं से जुटाई जाती है। यहाँ बड़ी और मध्‍यम सिंचाई परियोजनाओं का सृजन किया गया है और 48.97 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई प्रमुख सिंचाई योजनाओं के माध्‍यम से की जाती है।

शिक्षा[संपादित करें]

एक समय बिहार शिक्षा के सर्वप्रमुख केन्द्रों में गिना जाता था। नालंदा विश्वविद्यालयविक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा ओदंतपुरी विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे। १९१७ में खुलने वाला पटना विश्वविद्यालय काफी हदतक अपनी प्रतिष्ठा कायम रखने में सफल रहा किंतु स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति तथा अकर्मण्यता https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0?wprov=sfla1 करने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई। हाल के दिनों में उच्च शिक्षा की स्थिति सुधरने लगी है । प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति भी अच्छी हो रही है। हाल में पटना में एक भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान और राष्ट्रीय प्राद्यौगिकी संस्थान तथा हाजीपुर में केंद्रीय प्लास्टिक इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्युट तथा केंद्रीय औषधीय शिक्षा एवं शोध संस्थान खोला गया है, जो अच्छा संकेत है।

विश्वविद्यालय[संपादित करें]

बिहार के विश्वविद्यालय[संपादित करें]


चिकित्सा संस्थान[संपादित करें]

  • पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, पटना
  • इंदिरागाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना
  • नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, पटना
  • बुद्धा दंत चिकित्सा संस्थान एवं अस्पताल, पटना
  • श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, मुजफ्फरपुर
  • अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, गया
  • दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, लहेरियासराय
  • कटिहार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, कटिहार
  • जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज और अस्पताल, भागलपुर

अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थान[संपादित करें]

॰शेरिकलचर इंसटीचयूट भागलपुर
  • चाणक्य विधि विश्वविद्यालय, पटना
  • अनुग्रह नारायण सामाजिक परिवर्तन संस्थान, पटना
  • ललितनारायण मिश्रा सामाजिक परिवर्तन संस्थान, पटना
  • केंद्रीय प्लास्टिक इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्युट (सिपेट), हाजीपुर
  • केंद्रीय औषधीय शिक्षा एवं शोध संस्थान (नाइपर), हाजीपुर
  • होटल प्रबंधन, खानपान एवं पोषाहार संस्थान, हाजीपुर
  • प्राकृत जैनशास्त्र एवं अहिंसा संस्थान, वैशाली

सरकार एवं प्रशासन[संपादित करें]

बिहार सरकार[संपादित करें]

बिहार राज्य भारतीय गणराज्य के संघीय ढाँचे में द्विसदनीय व्यवस्था के अन्तर्गत आता है। राज्य का संवैधानिक मुखिया राज्यपाल है लेकिन वास्तविक सत्ता मुख्यमंत्री और मंत्रीपरिषद के हाथ में होता है। विधानसभा में चुनकर आनेवाले विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री का चुनाव पाँच वर्षों के लिए किया जाता है जबकि राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। प्रत्यक्ष चुनाव में बहुमत प्राप्त करनेवाले राजनीतिक दल अथवा गठबंधन के आधार पर सरकार बनाए जाते हैं। उच्च सदन या विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष ढंग से ६ वर्षों के लिए होता है।

प्रशासनिक व्यवस्था[संपादित करें]

प्रशासनिक सुविधा के लिए बिहार राज्य को 9 प्रमंडल तथा 38 मंडल (जिला) में बाँटा गया है। जिलों को क्रमश: 101 अनुमंडलों, 534 प्रखंडों, 8,471 पंचायतों, 45,103 गाँवों में बाँटा गया है। राज्य का मुख्य सचिव नौकरशाही का प्रमुख होता है जिसे श्रेणीक्रम में आयुक्त, जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी या अंचलाधिकारी तथा इनके साथ जुड़े अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण रिपोर्ट करते हैं। पंचायत तथा गाँवों का कामकाज़ सीधेतौर पर चुनाव कराकर मुखिया, सरपंच तथा वार्ड सदस्यों के अधीन संचालित किया जाता है। पटनातिरहुतसारणदरभंगाकोशीपूर्णियाभागलपुरमुंगेर तथा मगध प्रमंडल के अन्तर्गत आनेवाले जिले इस प्रकार हैं:

दर्शनीय स्थल[संपादित करें]

पटना एवं आसपासः
पटना राज्य की वर्तमान राजधानी तथा महान ऐतिहासिक स्थल है। अतीत में यह सत्ता, धर्म तथा ज्ञान का केंद्र रहा है। निम्न स्थल पटना के महत्वपूर्ण दार्शनिक स्थल हैं:
वैशाली तथा आसपास
छठी सदी इसापूर्व में वज्जिसंघ द्वारा स्थापित विश्व का प्रथम गणराज्य के अवशेष, अशोक स्तंभ, बसोकुंड में भगवान महावीर की जन्म स्थली, अभिषेक पुष्करणी, विश्व शांतिस्तूप, राजा विशाल का गढ, चौमुखी महादेव मंदिर, भगवान महावीर के जन्मदिन पर वैशाख महीने में आयोजित होनेवाला वैशाली महोत्सव
हाजीपुर तथा आसपास
कोनहारा घाट, नेपाली मंदिर, रामचौरा मंदिर, १५वीं सदी में बनी मस्जिद, महात्मा गाँधी सेतु, गुप्त एवं पालकालीन धरोहरों वाला चेचर गाँव, प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा से लगनेवाला सोनपुर मेला, सारण जिले का नवपाषाण कालीन चिरांद गाँव
राजगीर तथा आसपास
राजगृह मगध साम्राज्य की पहली राजधानी तथा हिंदू, जैन एवं बौध धर्म का एक प्रमुख दार्शनिक स्थल है। भगवान बुद्ध तथा वर्धमान महावीर से जुडा कई स्थान अति पवित्र हैं। वेणुवनसप्तपर्णी गुफागृद्धकूट पर्वतजरासंध का अखाड़ागर्म पानी के कुंड, मख़दूम कुंड आदि राजगीर के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।
नालंदा तथा आसपासः नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, पावापुरी में भगवान महावीर का परिनिर्वाण स्थल एवं जलमंदिरबिहारशरीफ में मध्यकालीन किले का अवशेष एवं १४वीं सदी के सूफी संत की दरगाह (बड़ी दरगाह एवं छोटी दरगाह), नवादा के पास ककोलत जलप्रपात
गया एवं बोधगया
हिंदू धर्म के अलावे बौद्ध धर्म मानने वालों का यह सबसे प्रमुख दार्शनिक स्थल है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ दुनिया भर से हिंदू आकर फल्गू नदी किनारे पितरों को तर्पण करते हैं। विष्णुपद मंदिर, बोधगया में भगवान बुद्ध से जुड़ा पीपल का वृक्ष तथा महाबोधि मंदिर के अलावे तिब्बती मंदिर, थाई मंदिर, जापानी मंदिर, बर्मा का मंदिर, बौधनी पहाड़ी { इमामगंज }
भागलपुर तथा आसपास
प्राचीन शिक्षा स्थल के अलावे यह बिहार में तसर शिल्क उद्योग केंद्र है। पाल शासकों द्वारा बनवाये गये प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय का अवशेष, वैद्यनाथधाम मंदिरसुलतानगंजमुंगेर में बनवाया मीरकासिम का किला
चंपारण
सम्राट अशोक द्वारा लौरिया में स्थापित स्तंभ, लौरिया का नंदन गढ़, नरकटियागंज का चानकीगढ़, वाल्मीकिनगर जंगल, बापू द्वारा स्थापित भीतीहरवा आश्रम, तारकेश्वर नाथ तिवारी का बनवाया रामगढ़वा हाई स्कूल, स्वतंत्रता आन्दोलन के समय महात्मा गाँधी एवं अन्य सेनानियों की कर्मभूमि तथा अरेराज में भगवान शिव का मन्दिर
सीतामढी तथा आसपास
पुनौरा में देवी सीता की जन्मस्थली, जानकी मंदिर एवं जानकी कुंड, हलेश्वर स्थान, पंथपाकड़, यहाँ से सटे नेपाल के जनकपुर जाकर भगवान राम का स्वयंवर स्थल भी देखा जा सकता है।
सासाराम
अफगान शैली में बनाया गया अष्टकोणीय शेरशाह का मक़बरा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।

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