Ravi Ranjan

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Saturday, 21 January 2017

भारत के उच्च न्यायालयों के नाम, स्थापना वर्ष और उनका स्थान

भारतीय उच्च न्यायालयों के नाम, स्थापना और स्थान (High Courts of India in Hindi)
भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल 24 उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214, अध्याय5 भाग 6 के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं।
भारत के उच्च न्यायालयों की सूची
न्यायालय का नामस्थापना की तिथिन्यायक्षेत्रस्थान
इलाहाबाद उच्च न्यायालय11 जून 1866उत्तर प्रदेशइलाहाबाद
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय8 जुलाई 1954आंध्र प्रदेशहैदराबाद
मुंबई उच्च न्यायालय14 अगस्त 1862गोवा, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, महाराष्ट्रमुंबई
कलकत्ता उच्च न्यायालय02 जुलाई 1862अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगालकलकत्ता
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय01 नवम्बर 2000छत्तीसगढबिलासपुर
दिल्ली उच्च न्यायालय31 अक्टूबर 1966राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश (दिल्ली)नई दिल्ली
गुवाहाटी उच्च न्यायालय01 मार्च 1948अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, नगालैंडगुवाहाटी
गुजरात उच्च न्यायालय01 मई 1960गुजरातअहमदाबाद
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय1971हिमाचल प्रदेशशिमला
जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय28 अगस्त 1943जम्मू और कश्मीरश्रीनगर और जम्मू
झारखण्ड उच्च न्यायालय15 नवम्बर 2000झारखंडरांची
कर्नाटक उच्च न्यायालय1884कर्नाटकबंगलुरु
केरल उच्च न्यायालय1956केरल, लक्षद्वीपकोच्चि
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय02 जनवरी 1936मध्य प्रदेशजबलपुर
चेन्नई उच्च न्यायालय15 अगस्त 1862पुडुचेरी, तमिलनाडुचेन्नई
उड़ीसा उच्च न्यायालय03 अप्रैल 1948ओडिशाकटक
पटना उच्च न्यायालय02 सितम्बर 1916बिहारपटना
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय15 अगस्त 1947पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़चंडीगढ़
राजस्थान उच्च न्यायालय21 जून 1949राजस्थानजोधपुर
सिक्किम उच्च न्यायालय16 मई 1975सिक्किमगंगटोक
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय09 नवंबर 2000उत्तराखण्डनैनीताल
मणिपुर उच्च न्यायालय25 मार्च 2013मणिपुरइम्फाल
मेघालय उच्च न्यायालय23 मार्च 2013मेघालयशिलांग
त्रिपुरा उच्च न्यायालय26 मार्च 2013त्रिपुराइटानगर
उच्च न्यायालय का गठन कैसे होता है?
प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा ऐसे अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर किया जाता है, जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करे। इस प्रकार भिन्न-भिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की संख्या भी भिन्न है।
उच्च न्यायालय न्यायाधीशों की योग्यता
अनुच्छेद 217 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य तब होगा, जब वह–
  • भारत का नागरिक हो और 62 वर्ष की आयु पूरी न की हो।
  • कम से कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो। न्यायिक पद धारण करने की अवधि की गणना करने में वह अवधि भी सम्मिलित की जाएगी, जिसके दौरान कोई व्यक्ति पद धारण करने के पश्चात किसी उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहा है या उसने किसी अधिकरण के सदस्य का पद धारण किया है या संघ अथवा राज्य के अधीन कोई ऐसा पद धारण किया है, जिसके लिए विधि का विशेष ज्ञान अपेक्षित है।
  • किसी उच्च न्यायालय में एक या से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो। किसी उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहने की अवधि की गणना करते समय वह अवधि भी सम्मिलित की जाएगी, जिसके दौरान किसी व्यक्ति ने अधिवक्ता होने के पश्चात न्यायिक पद धारण किया है या किसी अधिकरण के सदस्य का पद धारण किया है या संघ अथवा राज्य के अधीन कोई ऐसा पद धारण किया है, जिसके लिए विधि का विशेष ज्ञान अपेक्षित है।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कैसे होती है?
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश से, उस राज्य के राज्यपाल से तथा सम्बन्धित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करके की जाती है। इस सम्बन्ध में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है कि उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राज्य के राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजता है और राज्यपाल उस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री से परामर्श करके उसे प्रधानमंत्री के माध्यम से राष्ट्रपति के पास भेजता है। राष्ट्रपति उस प्रस्ताव पर भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करके न्यायाधीश की नियुक्ति करता है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शपथ कौन दिलाता है?
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उस राज्य, जिसमें उच्च न्यायालय स्थित है, का राज्यपाल उसके पद की शपथ दिलाता है।
भारतीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की पदावधि
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु पूरी करने तक अपना पद धारण कर सकता है। परन्तु वह किसी समय राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है। यदि त्यागपत्र में उस तिथि का उल्लेख किया गया है, जिस तिथि से त्यागपत्र लागू होगा, तो न्यायाधीश किसी भी समय अपना त्यागपत्र वापस ले सकता है। उदाहरणार्थ–
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र ने मई, 1977 में दिये अपने त्यागपत्र में लिखा था कि उनका त्यागपत्र 1 अगस्त, 1977 से लागू माना जाए, लेकिन वे 31 जुलाई, 1977 से पहले अपना त्यागपत्र वापस ले लिये थे। इसके विरुद्ध विवाद होने पर उच्चतम न्यायालय ने 4:1 के बहुमत से निर्णय दिया कि त्यागपत्र लागू होने के पूर्व वापस लिया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त न्यायाधीश को साबित कदाचार तथा असमर्थता के आधार पर संसद द्वारा दो तिहाई बहुमत से पारित महाभियोग प्रस्ताव के द्वारा राष्ट्रपति द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है।

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