Ravi Ranjan

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Saturday, 21 January 2017

भारत के राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नाम तथा स्थापना वर्ष

भारत में बहुदलीय प्रणाली बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वे हैं जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। इस मान्यता की सहायता से राजनीतिक दल कुछ पहचानों पर अपनी स्थिति की अगली समीक्षा तक विशिष्ट स्वामित्व का दावा कर सकते हैं जैसे की पार्टी चिन्ह।
भारतीय संविधान के अनुसार भारत में संघीय व्यवस्था है जिस में नयी दिल्ली में केन्द्र सरकार तथा विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के लिए राज्य सरकार है। इसीलिए, भारत में राष्ट्रीय व राज्य (क्षेत्रीय), राजनीतिक दलों का वर्गीकरण उनके क्षेत्र में उनके प्रभाव के अनुसार किया जाता है।
राजनीतिक दलों का पंजीकरण कौन करता है?
राजनीतिक दलों का पंजीकरण निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है और पंजीकृत राजनीतिक दलों, चाहे राष्ट्रीय स्तर के हों या राज्य-स्तर के हों, को आरक्षित चुनाव चिह्न आबंटित किया जाता है। 1952 में निर्वाचन आयोग द्वारा 14 दलों को राष्ट्रीय दल के रूप में तथा 60 दलों को राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता दी गयी थी। 30 सिंतबर, 2000 को निर्वाचन आयोग द्वारा मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) और जनता दल (सेकुलर) का राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा समाप्त करने के निर्णय के कारण यह संख्या घटकर क्रमश: 4 और 48 हो गयी। बाद में 1 दिसम्बर, 2000 को निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन), 1968 में संशोधन की घोषण करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी को राष्ट्रीय दल की मान्यता प्रदान कर दी। इस प्रकार वर्तमान में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संख्या बढ़कर 5 और राज्य स्तरीय राजनीतिक दल की संख्या 47 हो गई है। इनके अतिरिक्त भारत में पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त 612 राजनीतिक दल हैं।
निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को मान्यता कैसे प्रदान होती है?
राजनीतिक दलों को मान्यता निर्वाचन आयोग द्वारा इसके लिए घोषित “निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के अधीन बनाये गये नियमों के अनुसार प्रदान की जाती है। जो राजनीतिक दल मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के रूप में अपना पंजीकरण कराना चाहता है वह इसके लिए आयोग के समक्ष आवेदन करता है।
राष्ट्रीय पार्टी:
एक मान्यता प्राप्त पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तभी प्रदान किया जा सकता है यदि वह निम्नलिखित तीन में से किसी एक शर्त को पूरा करती है:
  •  उस राजनीतिक दल को तीन अलग-अलग राज्‍यों की लोकसभा (11 सीटों) की 2 प्रतिशत सीटें प्राप्‍त हुई हों।
  • लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में उस राजनीतिक दल को 4 राज्‍यों के कुल मतों में से 6 प्रतिशत मत प्राप्‍त हुए हों और उसने लोकसभा की 4 सीटें जीती हों।
  • किसी राजनीतिक दल को 4 या अधिक राज्‍यों में राज्‍य स्‍तरीय दल के रूप में मान्‍यता प्राप्‍त हो।
भारत के सभी राष्ट्रीय पार्टियों की सूची:
राजनीतिक दल का नामगठन/स्थापना कब हुई
भारतीय जनता पार्टी (BJP)1980
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)1885
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM)1964
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)1925
बहुजन समाज पार्टी (BSP)1984
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)1999
क्षेत्रीय पार्टी:
किसी राजनीतिक दल को किसी राज्‍य में मान्‍यता प्राप्‍त राजनीतिक दल तभी माना जाएगा यदि वह निम्‍नलिखित में से कोई एक शर्त पूरी करता हो:-
  • किसी आम चुनाव में या विधानसभा चुनाव में उस दल ने राज्‍य विधानसभा की 3 प्रतिशत सीटों (कम से कम तीन सीटों) पर चुनाव जीता हो।
  • लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में उस राजनीतिक दल ने उस राज्‍य के हिस्‍से की प्रति 25 लोकसभा सीटों पर एक लोकसभा सीट जीती हो।
  • लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में किसी राज्‍य में उस राजनीतिक दल को कम से कम 6 प्रतिशत मत प्राप्‍त हुए हों। इसके अलावा उस दल ने उस राज्‍य से एक लोकसभा सीट या 2 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीता हो।
  • लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में उस राजनीतिक दल को उस राज्‍य में 8 प्रतिशत मत मिले हों।
भारत में क्षेत्रीय पार्टियों की सूची:
राजनीतिक दल का नामगठन/स्थापना कब हुईराज्य/केन्द्रशासित प्रदेश
आम आदमी पार्टी (AAP)2012दिल्ली, पंजाब
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK)1972पुदुचेरी, तमिलनाडु
ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB)1939पश्चिम बंगाल
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)1927तेलंगाना
ऑल इंडिया एन. आर. कांग्रेस (AINRC)2011पुदुचेरी
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF)2004असम
ऑल झारखण्ड स्टूडेंट यूनियन (AJSU)1986झारखण्ड
असम गण परिषद (AGP)1985असम
बीजू जनता दल (BJD)1997ओडिशा
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF)1985असम
देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम (DMDK)2005तमिलनाडु
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)1949पुदुचेरी, तमिलनाडु
हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) (HJC(BL))2007हरियाणा
हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (HSPDP)1968मेघालय
इन्डियन नेशनल लोक दल (INLD)1999हरियाणा
इन्डियन नेशनल मुस्लिम लीग (IUML)1948केरल
जम्मू-कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस (JKNC)1932जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर नेशनल पेंथर्स पार्टी (JKNPP)1982जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (JKPDP)1998जम्मू-कश्मीर
जनता दल (सेक्युलर) (JD(S))1999कर्नाटक, केरल
जनता दल (यूनाइटेड) (JD(U))1999बिहार
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (JMM)1972झारखण्ड
झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) (JVM(P))2006झारखण्ड
केरल कांग्रेस (एम) (KC(M))1979केरल
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP)2000बिहार
महाराष्ट नवनिर्माण सेना (MNS)2006महाराष्ट्र
महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP)1963गोवा
मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी (MSCP)1997मणिपुर
मिजो नेशनल फ्रंट (MNF)1959मिजोरम
मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस (MPC)1972मिजोरम
नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF)2002मणिपुर, नागालैंड
नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)2013मेघालय
पट्टाली मक्कल काची (PMK)1989पुदुचेरी, तमिलनाडु
अरुणाचल पीपुल्स पार्टी (PPA)1987अरुणाचल प्रदेश
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)1997बिहार, झारखण्ड
राष्ट्रीय लोक दल (RLD)1996उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP)2013बिहार
रिवोल्यूशनरी सोशिलिस्ट पार्टी (RSP)1940केरल, पश्चिम बंगाल
समाजवादी पार्टी (SP)1992उत्तर प्रदेश
शिरोमणि अकाली दल (SAD)1920पंजाब
शिव सेना (SS)1966महाराष्ट्र
सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF)1993सिक्किम
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM)2013सिक्किम
तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS)2001तेलंगाना
तेलगू देशम पार्टी (TDP)1982आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP)1972मेघालय
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP)2011आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) (SJP)1990उत्तर प्रदेश
भारतीय राजनीति में कई पार्टियों के मौजूद होने से राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा मिलता है क्योंकि कई पार्टियों के चुनाव लड़ने से मतदाता असमंजश की स्थिति में आ जाता है। इस कारण किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नही मिल पाता है और गठबंधन की सरकार बनती है जिससे सरकार कमजोर होती है और उसमे कड़े फैंसले लेने की ताकत नही होती है। इस तरह के माहौल में सही लोकतंत्र की स्थापना नही हो पाती है।

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